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अनकही अनसुनी शायरी

mere vichar
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“तेरी काली घनी जुल्फों में, दिल मेरा कहीं पे अटका
चला न करो गोरी बल खाकर, मेरे दिल को लगे है झटका”
 
 
 “वोह खुद को छुरी, और दूसरों को खरबूजा, ऐसे ही नहीं कहते है
वहां पर कटने वाले तो कटते ही है, काटने वाले भी कट जाते है”

 

“सुना था की शमा जलती है तो, परवाने उसपे जल -२ के मरा  करते है
कोई हमे देखे तो जाने की हम कैसे जल -२ के जिया करते है”

 

“गम नहीं दिल टुकड़ो  में है
टुकड़ो में ही सही है तो हसीनाओं के पास”

 

“तुम याद रखे जाने के लायक ही  नहीं हो
और हम भूल जाने के कायल भी नहीं है”

 

“लूटा है किसी ज़ालिम ने अपना बन   कर
हकीकत भी आई मेरी जिन्दगी में तो सपना बन कर”

 

“आज मौसम का मिजाज कुछ बदला-२ सा है
फिजा का रंग भी कुछ बदला -२ सा है
लगता है की कुदरत को भी खबर हो गई है मेरे यार के आ जाने की”

 

“गर आदमी जो चाहता वोह सब उसे मिल गया होता
तो आज आदमी खुदा होता और खुदा “खुदा” न होकर न जाने क्या होता”

 

“जब से हमने कर ली है गुनाहों से तौबा
फरिश्ते भी अब  हमे सजदा करने लगे है”
“मालिक तेरे जहाँ ने बदनाम करके छोड़ा
हम सीधे साधे लोगों का जीना हराम करके छोड़ा”

 

“हमने कहा खुदा से की हमे देख आने दो
कौन हमारी कब्र पर रो रहा है
अपने आंसुओ से उसको भिगो रहा है”
कहा खुदा ने की उसके कारण ही तो तो कब्र में सो रहा है
हमी कह देंगे उससे कि शोर मत करो ,
चुप हो जाओ-मेरे बच्चे कि नींद में खलल हो रहा है”

 

“तरसती है दुनिया जिस मुकाम को
वोह आज हमने तेरी नजरो में उठ कर पाया है
मर कर ही सही तेरे होठों पर मेरा नाम तो आया है”

 

“आँख जब खुले तभी सबेरा होता है
कोई रौशनी की  उम्र नहीं पूछता
दूर जब अँधेरा होता है”

 

“हम नक़्शे कदम पे नहीं चलते
कदमो के निशां बनाते है –
रास्ता पूछ ले गर कोई
उसे मंजिल का पता बताते है”

 

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