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ये मै किस राह पर निकाल पड़ा हूँ?
न मंजिल का पता है ना ही ये पता है की इस राह की कोई मंजिल है भी या नहीं! ये जानता हूँ की इस राह पर कांटे ही कांटे हैं , पर फिर भी , मै इस राह पर चल पड़ा हूँ.
ऐसा क्यों होता है की हम अक्सर जानते हैं की ऐसा करने से कुछ हासिल नहीं होगा , फिर भी …., ऐसा क्यों होता है की हम दिल के हाथों मजबूर हो जाते हैं और दिमाग की नहीं सुनते ?
आजकल कुछ ऐसी ही स्थिति है मेरी , हर पल एक बेचैनी सी रहती है , हर पल प्रतीक्षा रहती है की कब उससे बात होगी , कब उसका मेल / एस एम एस आएगा , कब ……………? पता नहीं ये रोग कैसे लगा लिया है मैंने . धीरे धीरे कोई मन में बस गया है , पता ही नहीं चला की ये हुआ कैसे , पर जब तक समझता , कोई दिल में ………
पर किसी के लिए ऐसी भावना रखना ही तो बड़ी बात नहीं है , इसके प्रेम रुपी फूल में कांटे भी तो होते हैं ! ये कांटे कभी हालात के होते हैं तो कभी सम्भंधो के , जो इस फूल के खिलने से पहले ही ………,
मै जानता हूँ , के वो जानती है की मै उससे …………….., पर मै ये भी जानता हूँ की जब उसे मेरे बारे में सब कुछ पता चलेगा तो वो , इस राह पर मेरे साथ चलने में सक्षम नहीं हो पायेगी . इसके लिए उसे दोष भी नहीं दे सकता . मुझे मेरी और उसकी मजबूरिया पता हैं . आज समाज में जोड़ने वाली भाषा केवल प्रेम ही है पर बांटने के लिए बहुत सारे ………………., कभी धर्म तो कभी जात , कभी अमीरी तो कभी गरीबी , कभी क्षेत्र तो कभी प्रांत , कभी भाषा और ना जाने ………………,
वो बहुत बहादुर है पर मै जानता हूँ की वो मेरे साथ नहीं चल पायेगी , मै उसके हालात जानता हूँ , मै उसकी मजबूरिया जानता हूँ , वो किस बहादुरी से, साहस के साथ जीवन की इस कठिन दौड़ , हर बाधा से लड़ रही है वो सच में अतुलनीय है , प्रन्श्नीय है , दिल से उसके लिए ………………….
पर मै ये भी जानता हूँ की उसके लिए बड़ा कठिन मार्ग होगा मेरे साथ चलना , क्योंकि उसके लिए जिस तरह का बलिदान उसे करना पड़ेगा वो उससे माँगना भी मेरे लिए कठिन होगा …….…, ये मेरा स्वार्थ होगा की मै उससे ऐसा कुछ कहूँ .
मै नहीं जानता की इस रिश्ते का आगे क्या होगा ? पर इतना पता है की जीवन में किसी ना किसी रूप में , मै उससे सदा जुड़ा रहूगा , क्योंकि वो मेरे जीवन के एक हिस्सा बन चुकी है , भले ही इस रिश्ते का स्वरुप नदी के दो किनारों की तरह हो जो सदा साथ तो रहते हैं पर कभी नहीं मिलते .
दूर कहीं ग़ज़ल के बोल सुनाई दे रहे हैं की “रिश्ता क्या है तेरा मेरा, मै हूँ शब् और तू है सवेरा…..”
मै समझता हूँ इस बात को पर दिल है की ………………
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