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कुछ दिनों पहले एक मित्र के साथ वार्ताप्लाप चल रहा था , मेरे अच्छे मित्रो में से हैं वो, और मेरे मित्र हैं इस लिए उनका अच्छा होना ज़रूरी है , वरना मै ………………….
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उनमे एक आदत बड़ी विचित्र है , पर ऐसी आदत हम में से अक्सर लोगों में भी पायी जाती है . वो आदत है लोगो से उनकी रिश्तेदारी को जोड़ना , आप किसी की भी बात करें , वो ढूंढ कर , कहीं से भी घुमा फिरा कर उससे अपना रिश्ता जोड़ देते हैं , पर यहाँ पर एक कंडीशन लागू होती है , उस व्यक्ति का प्रसिद्ध या धनी होना या किसी ऊँचे पद पर होना . आपने अगर किसी मंत्री का नाम लिया तो कहीं ना कहीं से वो उनको परिचित या संभंधि निकाल ही आएगा , किसी खिलाडी , फिल्म स्टार , उच्च अधिकारी ….……,. आप किसी का भी नाम लें , उनका सम्बन्ध कहीं ना कहीं से उनसे बन ही जाता है.
आपने ये कहावत तो सुनी ही होगी की (SUCCESS HAS MANY FATHER BUT FAILURE IS AN ORPHAN) यानि जीत के हिस्सेदार तो सभी होते हैं पर हार को …………, वही हाल जीवन में भी है , अगर हमारे कोई संभंधि किसी ऊँचे पद पर या धनी या प्रसिद्ध होते हैं तो हम उनके साथ अपनी दू…………………र की भी रिश्तेदारी को ऐसा बताते हैं जैसे की वो हमारे बिलकुल ही निकट के रिश्तेदार , बल्कि घर के ही मेम्बर हों , और अगर कोई गरीब संबंधी हो तो उसकी अपने साथ नजदीकी रिश्तेदारी को भी स्वीकारने में हिचकते हैं . हमारी मानसिकता अक्सर उगते / चमकते sooraj ko प्रणाम करने के जैसी ही होती है , जिसे केवल उगता सूरज ही …………..…
जीवन में हम इन बातों को इतना महत्व क्यों देते हैं , अक्सर ये प्रश्न मेरे मन में उठता है ? क्या गरीब रिश्तेदार होने से हमारी इज्ज़त पर बट्टा लगता है ? क्या केवल धन ही , या प्रसिद्धि ही या ऊँचे पद पर होना ही …………..सबसे बढ़ कर है ? क्या निर्धन की कोई इज्ज़त , कोई अहमियत , कोई मान नहीं है ?क्या केवल धन na होने से या समाज में नाम / पद ना होने से वो नीच , या हीन हो जाते हैं ? अगर हमारे साथ भी ऐसा हो , यानि कोई हमसे अधिक धनी या प्रसिद्ध व्यक्ति हमें पहचानने से , या महत्व देने से इनकार कर दे तो हमारे दिल पर क्या गुजरेगी , काश ये हम दूसरों के साथ करने से पहले सोचते .
अपने , अपने ही होते हैं . यदपि aaj हर तरफ बाप बड़ा ना भय्या सबसे बड़ा रुप्प्या के नारे लग रहे हैं फिर भी , जीवन में रिश्तों का जो महत्व है , वो अभी भी बाकी है . समाज में भले ही अब ऐसे उदहारण दिखाई देते हैं जहाँ भाई – भाई को , माँ – बेटे को , पाती पत्नी को ………. ऐसे रिश्तो की हत्या हो रही है , उनके साथ विश्वासघात हो रहा है पर फिर भी मेरा माना है की हमारे बीच ऐसे उदहारण अपवाद में ही है , अब भी हम पूरी तरह से …….………….
आप सब से अनुरोध है की जीवन में रिश्तों को , भले ही वो करीबी हो या दूर के , धन दौलत , प्रसिद्धि या पद के आधार पर ना तुले बल्कि ………………
रिश्ते अनमोल होते हैं उनका मोल इन बातों से ना लगाएं . आप सब ही मेरे इस विचार से सहमत होंगे , है ना ?
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