अन्ना जी और मेरी अलग सोच
आज काफी समय के बाद फिर कुछ लिखने को दिल चाह रहा है, पर क्या और कैसे लिखूँ?
३२ पोस्ट होने के बाद भी ये प्रश्न सदा ही परेशान करता है.
खैर, आज जब की सारा वातावरण “अन्नामय” हुआ है, और कोई भी न्यूज़ चैनेल खोलो “अन्नाकार” सुनने को मिलता है, “समाचार” नहीं , सोचा इसी विषय पर कुछ लिखा जाये और इसकी प्रेरणा मुझे अपने घर बात करने से मिली.
मेरे बहन के बेटे ने बताया की मामा, यहाँ पर भी कल एक बड़ा मार्च निकला था अन्ना हजारे जी के समर्थन में, जिसमे बहुत सारे लोग थे. बात – बात में ये भी पता चला की एक मित्र है हमारे जो की कोर्ट में काम करते हैं, अच्छी सैलरी है पर सैलरी से ज्यादा वो रोज़ मिलने वाले ……….. के लिए जाने जाते हैं, उपरी आमदनी इतनी है की ………. खूबसूरत बंगला नुमा घर, गाड़ी और हर सप्ताह पत्नी और बच्चो के लिए नए नए कपडे………. आदि आदि, वो इस मार्च में बड़े जोर शोर से थे……. सुन कर हंसी आ गयी…..,, आज अन्ना जी को सपोर्ट करने में वकील, नेता और ना जाने कौन कौन से लोग हैं, जिनके बारे में निश्चित है की उन्मसे १०० में से ९५% करप्ट हैं, वो उछल उछल कर ………………., और वही लोग ज्यादा शोर कर रहे हैं की भ्रष्टाचार को …………………..,
मैंने कहीं पढ़ा था या शायद सुना था की पहला पत्थर वो मारे जिसने पाप ना किया हो, आज जिसे देखो वही हाँथ में पत्थर लेकर खड़ा है, और अधिकतर का दामन ……………….,
आज जिस अन्ना जी की आंधी में देश रंगा है, कितने लोग जानते थे कुछ महीने पहले उन्हें ? मै आपसे पूछता हूँ क्या अन्ना जी से पहले किसी नो भ्रष्टाचार का विषय नहीं उठाया………………., तो आज फिर अन्ना जी ही को गाँधी जी के अवतार के रूप में क्यों देखा जा रहा हैं? मै जानता हूँ की मेरे विचार मंच पर के हर विशिष्ट और आदरणीय लेखक से अलग है पर मै नहीं जानता की ऐसा क्यों हैं? मै मानता आया हूँ की अगर आपको आदर्श बनना है तो आपका दामन बिना किसी धब्बे के, दाग के हो, और ये जग विजित है की अन्ना जी पर भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध हो चूका था, भले किसी भी रूप में,
यहाँ आप से ये निवेदन है की मुझे आप कांग्रेस पार्टी का समर्थक या एजेंट ना समझ ले, निसंदेह ये पार्टी और सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार है, निकम्मी है, आम आदमी की सरकार का नारा लगाने वाली ये सरकार आम आदमी से कितनी दूर हो गयी है इसका पता तो इसे जैसे ही चुनाव होंगे, चल जायेगा. बात अन्ना जी और आज के इस महा आन्दोलन की हो रही है……. पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता है की इस पूरे आन्दोलन को कहीं ना कहीं, बड़े सोचे समझे प्लान के अनुसार चलाया जा रहा है, कौन है इसके पीछे इसका पता नहीं पर ये मेरी सोच है……. वरना केवल चंद दिनों में इतना बड़ा वर्ग इस तरह से …..
मुझे पता है की आप सब को शायद ये मेरा संदेह और लेख, शायद पसंद ना आये पर ये मेरी सोच है……. और हो सकता है की मेरी शंका निर्मूल हो,
इश्वर से प्रार्थना है की अन्ना जी वही अवतार हों जिसकी आपने प्रार्थना की हो, पर वास्तविक बदलाव तभी आएगा जब एक आम आदमी बदलेगा, जहाँ भ्रष्टाचार जीवन का क हिस्सा बन गया हो, वहां पर हर किसी को खुद के गिरेबान में झाक कर देखना होगा, दुसरे पर ऊँगली उठाते समय ये देखना होगा की हम कितने पानी में हैं. बदलाव घर से होगा, खुद से होगा……….
अन्ना जी के समर्थन में उतरने से पहले हमें खुद को देखना होगा, की क्या हम वास्तव में उनका समर्थन कर रहे हैं या केवल उस भीड़ का हिस्सा बन रहे हैं, दूसरो के देख कर, पर इसके वास्तविक अर्थ को समझे बिना.
अंत में, आप सब से नम्र निवेदन है की मेरे इस लेख से अगर आप सहमत नहीं भी हों, जिसके चांसेस बहुत अधिक है, तो भी अपना स्नेह बनाये रखियेगा, क्योंकि वही मेरी शक्ति है.
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