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“है बहुत भीड़ , मगर फिर भी अकेला हूँ मै
ऐ मेरे दोस्त , नहीं तू तो ये एहसास सा है “!
आपने वो कहानी तो बचपन में ज़ुर सुनी होगी , के दो दोस्त जंगल में जा रहे थे , तभी रास्ते में उन्हें एक भालू दिखाई दिया , उसे देख दोनों दर कर भागने लगे और भालू से डर कर एक पेड़ ……. ….
मै उस कहानी को आपके सामने दुहराना तो नहीं चाहता पर इस कहानी ने हम सब को सच्ची मित्रता की एक पहचान बताई थी की सच्चा मित्र वही होता है जो की बुरे समय में आपका साथ दे .
आज हमारे पास न जाने कितने लोग हैं जो की हमारी मित्रता का दम भरते हैं पर क्या वो सच में हमारे मित्र होते हैं ? मित्रता मौके और समय के अनुसार नहीं होती वरण ये एक बहुत ज़िम्मेदारी का रिश्ता है . आज दोस्ती एक दुर्लभ वास्तु हो के रह गयी है और इसके बहुत सारे कारण हैं .
किसी विद्वान् ने कहा है की समर्धि मित्र बनाती है और कठिनाई उसकी असल पहचान बताती हैं , जैसा की रहीम ने भी बरसो पहले लिखा है के:
“ रहिमन विपदा हो भली पर जो थोड़े दिन होए
हित , अनहित जगत में , जान पडत सब कोई ”
इसी लिए हमें अपने मित्रो को बहुत समझ बूझ कर चुनना चाहिए . वैसे भी कहावत है की अगर किसी का चरित्र जानना है तो उसके मित्र को देखो.
यहाँ पर एक बात और कहना चाहूँगा की अगर आप चाहते हैं की आपके मित्र , सच्चे और भरोसे के हो , तो आपको स्वयं भी उनका , वैसा ही मित्र बनना पड़ेगा . चार्ल्स कोल्टन का कथन है की अगर आपका कोई मित्र मुसीबत में हो तो उससे ये न पूछो की मै तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ बल्कि स्वयं ही उसका हल ……
जीवन में अगर किसी को एक भी सच्चा दोस्त मिल जाये तो वो बहुत भाग्यशाली होता है , इस लिए अगर आपके पास ऐसा दोस्त हैं तो उसे खोएं नहीं ,
एक अच्छे दोस्त में कुछ विशेषताएं जो होनी चाहिए वो ये हैं :
आशा है की आपके जीवन में सच्चे मित्र अवश्य होंगे . अगर नहीं हैं तो मै हूँ न …..…
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