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हाले – दिल

mere vichar
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जब तकदीर है अपनी समझ नहीं आता
ख़ुशी के साथ मुझे ग़म मिले बराबर हैं
 
ये खुशनसीबी है है मेरी, मिला जो प्यार तेरा
और बदनसीबी के बस दूरियां मयस्सर हैं.
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ज़ों से दिल की बात कभी कह नहीं सकते
कितना है तुमसे प्यार कभी कह नहीं सकते
 
हम लाख तुमसे प्यार का इज़हार कर भी दें
दिल कितना बेकरार है ये कह नहीं सकते
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इसी उम्मीद में दिन रात बसर होते हैं
मेरी तन्हाई के लम्हात बसर होते हैं
 
कभी तो साथ मिलेगा तेरा सदा के लिए
अँधेरी रात के ही बाद सहर  होती हैं
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कभी दीवानगी तो कभी बेगानगी है
प्यार के रंग है कितने के हैरान हूँ मैं
 
फर्क इससे मुझे पड़ता नहीं कुछ ऐ जानम
क्योंकि तू जान मेरी और तेरी जान हूँ मै
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हर एक रंग तेरा मुझको हसीं लगता है
हर एक बात तेरी दिल को भा जाती है
 
जब उदासी तेरे बातों से अयान होती है
जान तब जान पे जैसे मेरे बन आती है
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झे इस बात को स्वीकारने में कोई ग्लानी नहीं है की मै एक अच्छा शायर नहीं हूँ ना ही एक अच्छा लेखक, बस जो दिल में आये लिख डालता हूँ, आज भी अपने लिखे कुछ शेर, क्योंकि किसी  और को सुनाओ तो सामने ही गाली सुनने पड़ेगी, आप सब के सामने रख रहा हूँ, कम से कम मुंह पर तो…….
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