mere vichar
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हर घडी मुझको ये एहसास सा क्यों होता है
तुम मेरे पास नहीं फिर भी मेरे पास हो तुम
मेरी साँसों में बसी अब है खुशबू तेरी
जिस्म से दूर सही दिल के बहुत पास हो तुम
खो चूका हूँ मै सभी कुछ नहीं कुछ खोने को
तुम ही उम्मीद मेरी , और मेरी आस हो तुम
मैंने माँगा तो बहुत कुछ है मेरे खालिक से
तुम मगर सबसे बड़ी जीस्त मेरी यास हो तुम
नींद हो , ख्वाब हो , भीड़ या तन्हाई हो
तुम मेरी सोच में , ख्याल में अहसास में तुम
लोग कहते है की दीवाना हूँ , मै पागल हूँ
एक दीवाने की चाहत की परवाज़ हो तुम
बस ख़तम मेरा फ़साना है , नहीं कुछ बाकी
मेरा तो दीन भी , दुनिया भी , और हो जान भी तुम
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