नादान शायर
शायरी मेरे बस की बात नहीं,
फिर भी मई सुबहो शाम लिखता हूँ,
जब समझ में कुछ भी नहीं आता
मई फ़क़त तेरा नाम लिखता हूँ
जब उदासी मेरे वजूद में बस जाती हैं
तेरी तस्वीर नगाहों के पास रखता हूँ
मई तो कुछ भी नहीं तुम्हारे सिवा
दिल में तुमको ही बसा के रखता हूँ
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